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संकट मोचन संगीत समारोह 2024 की आखिरी शाम को भी कलाकारों ने बनाया यादगार, मंदिर में गूंजा कविता कृष्णमूर्ति का फिल्मी सुर

संकट मोचन दरबार में शुक्रवार की आधी रात फिल्मों के सेमी क्लासिकल गाने सुनाई दिए। 'तू ही रे, तेरे बिना मैं कैसे....' 'काहें छेड़ मोहे गरवा' और 'ये रामायण है पुण्य कथा श्रीराम की' के सुर गूंज रहे थे। दरबार में बैठे न्यू जनरेशन के हनुमान भक्त हो या क्लासिकल म्यूजिक के दीवाने, हर कोई मगन हो उठा था। बॉलीवुड की पॉपुलर सिंगर कविता कृष्णमूर्ति के इन गानों पर हर कोई बैठे बैठे ही झूमने लगा था।  

आज 6 दिवसीय संकट मोचन संगीत समारोह का समापन हो गया। हनुमान जी के दरबार में लगातार 6 निशाएं सुर के सरगम से सजी रहीं। देश भर से आए कलाकार और ऑडियंस ने हनुमान दरबार में 6 दिन का डेरा जमा लिया था। अब हर कोई अगले साल के इंतजार में संकट मोचन के अहाते से विदा हो गया। अगले साल 16 से 21 अप्रैल तक संकट मोचन संगीत समारोह का आयोजन होगा।

अंतिम निशा में इनकी रही खास प्रस्तुति

अंतिम निशा में सबसे खास प्रस्तुति, बॉलीवुड की लोकप्रिय गायिका कविता कृष्णमूर्ति, संकट मोचन मंदिर के महंत का पखावज वादन, पद्म विभूषित येल्ला वेंकटेश्वर राव की वायलिन और पद्म भूषित डॉ. एल सुब्रमण्यम के मृदंगम ने भक्तों पर जैसे जादू सा कर दिया हो। इनके अलावा, ग्वालियर घराने से आए गुंदेचा ब्रदर्स ने भी भक्तों को मन के संगीत में डूबोने को मजबूर कर दिया।

हम कथा सुनाते... गाने पर भक्त हुए राम मय

कविता कृष्णमूर्ति ने अपने गाने की शुरुआत रामायण सीरियल के लवकुश प्रसंग को जीवंत कर दिया। 'हम कथा सुनाते राम सकल गुणगान की, ये रामायण है पुण्य कथा श्रीराम की' गाया तो पूरा संकट मोचन दरबार मगन होकर झूमने लगा।

ऑडियंस तालियां बजाकर कविता कृष्णमूर्ति के सुर में सुर मिलाकर गाते रहे। संकट मोचन मंदिर राममय हो गया। जय श्री राम के जयघोष होने लगे। जब क्लासिकल बंदिश पर तान लिया तो बड़े बुजुर्ग भी एक टक लगाकर सुनने लगे।

इसके बाद उन्होंने बॉलीवुड का सबसे फेमस सॉन्ग 'तू ही रे...तेरे बिना मैं कैसे जियूं' गाया तो नई जनरेशन वाले हनुमान भक्त भी दिल थाम कर बैठ गए। कविता ने देवदास फिल्म का सबसे पॉपुलर गाना 'काहे छेड़, छेड़ मोहे गरवा लगाए...' गाया तो हर कोई नाचने गाने लगा। इसी के साथ उन्होंने अपनी छोटी सी प्रस्तुति को समाप्त कर दी।

गुंदेचा ब्रदर्स ने शिव स्तुति पर नचाया

गुंदेचा ब्रदर्स ने जब शिव-शिव स्तुति सुनाई तो हर कोई दंग रह गया। राग अडाना में गाई गई ये बंदिश शिव के विकराल रूप को बड़े मनोहारी ढंग से प्रस्तुत कर रही थी।

अहाते में बैठी ऑडियंस जोर जोर से झूमने लगी। जैसे लगा कि हर किसी ने अपने अंदर एक शिव की अनुभूति की हो। इससे पहले गुंदेचा ब्रदर्स के साथ क्लासिकल बंदिशों में संकट मोचन मंदिर के महंत ने पखावज से बड़ी शानदार संगत की। पखावज की आवाज लोगों के भक्ति भाव को जगा रही थी। हनुमान दरबार में जैसे नगाड़ा बज रहा हो। उमाकांत गुंदेचा, रमाकांत गुंदेचा गायन में और अखिलेश गुंदेचा पखावज पर सुर में सुर मिला रहे थे।

मेवाती घराने की बंदिश रही अंतिम निशा की पहली प्रस्तुति

अंतिम निशा की पहली प्रस्तुति, मेवाती घराने के पंडित नीरज पारिख के क्लासिकल बंदिश से हुई। प्रख्यात शास्त्रीय गायक और पद्म विभूषित पंडित जसराज के गंडाबंद शिष्य नीरज पारिख ने 'कैसे सुख सोऊं नींद न आए श्याम मूरत चित'.... गाया तो ऑडियंस मुग्ध हो गए। उन्होंने राग बिहाग से संगीत समारोह का श्रीगणेश किया।

ओउनके साथ 5 शिष्य तबला, सारंगी, वीणा और हारमोनियम पर संगत कर रहे थे। बीच-बीच में लंबा अलाप और सरगम छेड़ा तो भक्त भी हैरान हो गए। उन्होंने, ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः सुनाया, तो तालियाें की गड़गड़ाहट से पूरा हनुमत दरबार गूंजने लगा।

बांसुरी और तबले की जुगलबंदी ने मोहा लिया मन

दूसरी प्रस्तुति, मुंबई से आए युवा बांसुरी वादक एस आकाश की रही। आकाश ने राग अभोगी कान्हड़ा पर बांसुरी बजाई तो हनुमान जी का दरबार मधुबन की वाटिका जैसा लगने लगा। हर कोई कान्हा- राधा की लीलाओं में खो गया। उनके साथ ईशान घोष द्वारा निकाली गई तबले की तिरकिट लोगों को काफी मुग्ध कर रही थी। ऑडियंस और भक्त वाह-वाह करते जा रहे थे। लोगों ने युवा कलाकारों का तालियों और हर-हर महादेव के जयघोष के साथ जमकर हौंसला आफजाई किया।